ये तो बहुत बुरा हुआ
फुलों की गुफ्तगू को
काटों ने सुन लिया
ये तो गजब हुआ
चाँद-चकोर के प्रेम को
सूरज ने भाप लिया
ये तो कमाल हुआ
शीतल रेत के समन्दर को
गर्म हवा का झोंका उड़ा ले गया
ये तो सितम हुआ
नदियां समुद्र से मिलने से कतरा रही है
उसे खारा बतला रही है
प्रलय की शुरूआत
ऐसे ही होती है
मनीषा शर्मा~
beautiful lines Manisha :-)
ReplyDeletecheers, Archana - www.drishti.co
Thank u soooo much Archana :)
Deletebahut sundar likha hai, Manisha:)
ReplyDeleteThank you so much Amit :) Mai likhnai ki koshish karti hu magar jaisi vocabulary aapki hai, mai chahti hu aik din meri bhi utni hi acchi vocabulary ho. Abhi mujhai shabdo par apni pakad itni perfect nahi lagti hai.
DeleteQuite an original thought. Nice!
ReplyDeleteThank u Aneeta, for always giving your time to read my work :)
DeleteThis was amazing Manisha!! clap clap clap!!
ReplyDeleteThank u Hemant :)
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