मुझे पसंद नहीं कि
तुम मुझे समझते हो..
मुझे पसंद नहीं कि
तुम्हें जन्मदिन,शादी की सालगिरह,
हमारी पहली मुलाकात का दिन,सब याद रहे
मुझे पसंद नहीं कि
तुम मेरे चेहरे व मन के भाव पढ़ लेते हो..
मुझे पसंद नहीं कि
तुम मेरी ज़रूरतों हसरतों को पहचानते हो..
मुझे पसंद नहीं कि
तुम मेरी हर गलती पर मुस्कुराते हुए कहो कोई बात नहीं
मैं लड़ना-झगड़ना चाहती हूं,
मैं मान-मनवार करना और करवाना चाहती हूं,
मैं तुम्हें मुझको पाने के लिये भटकाना चाहती हूं,
और तुम्हें पाने के लिये तड़पना चाहती हूं
मुझे पसंद नहीं कि
सब मेरी किस्मत पर रश्क़ करें मेरे पास तुम हो..
तुम्हारे पास मैं हूं उसका क्या?
मनीषा शर्मा~
शानदार!
ReplyDeleteशुक्रिया अमित :)
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