मन करता है तुझे कुछ लिखुँ
पर लिखुँ भी तो क्या लिखुँ ?
मेरे प्यार का इज़हार,
कसमें-वाद,े
मौसम की बातें
लिख सकती हु यह सब
पर लिखते समय मेरी कलम की स्याही
शुष्क होने लगती है
इसलिये
एक कोरा कागज़ ही रख छोड़ा है
तुम्हारे लिये
तुम्ही कुछ लिख दो ना इस पर
मनीषा शर्मा~
Silence does speak more than words can!
ReplyDeleteNice thought and poem:)
Thank u AmIt :)
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