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Monday, 28 December 2015

यह आज़ादी फिल्मी है!








जंग-ए-आज़ादी का पूरा सफर बॉलीवुड ने नज़दीक से देखा, समझा और साझा किया। राष्ट्रीय चेतना से लबालब बहुत-सी फिल्में बनीं और उनके गीत जन-जन की सांसों से जैसे एकसार हो गए। हालांकि अब देशभक्ति से भरपूर फिल्मों का निर्माण नहीं हो रहा। देशप्रेम बॉलीवुड के लिए एक फॉर्मूला भर रह गया है...

 

जंग-ए-आजादी का जज़्बा भी क्या खूब था। सोने की चिड़िया कहलाने वाले भारत को गुलामी की जंजीरों में बंधा देख कर रणबांकुरों का खून खौल उठा। सबकुछ कुर्बान कर उन्होंने स्वत्रंता हासिल की। आज़ादी की इस पूरी यात्रा को सिनेमा की दुनिया ने भी देखा-समझा-साझा किया। स्वतंत्रता के पहले का दौर, आजादी तक का सफर और बाद में पड़ोसी देशों से हुई लड़ाईयों को हिंदी फिल्मों में अच्छी तरह चित्रित किया गया।

अंग्रेजों के दमन के डर से अधिकतर फिल्मकारों ने पौराणिक प्रतिकों के सहारे आज़ादी की कथाओं को ढंककर पेश किया, लेकिन बाद में हिंदी सिनेमा ने बर्तानिया हुकूमत के खिलाफ़ खुलकर आवाज़ बुलंद की। ऐसी फिल्में न सिर्फ सराही गई, बल्कि इनके गीत भी खासे मशहूर हुए।

1943 में आई फिल्म किस्मत का गीत दूर हटो ऐ दुनिया वालों, हिंदुस्तान हमारा हैं... हर भारतीय के लबों पर मचलता था। फिल्म शहीद के वतन की राह में वतन के नौजवां शहीद हो, ऐ वतन ऐ वतन हमको तेरी कसम और मेरा रंग दे बसंती चोला की मशहूरियत के तो कहने ही क्या।

स्वतंत्रता के ठीक बाद आई 1949 की फिल्म बाज़ार का गीत शहीदों तुमको मेरा सलाम... चर्चित रह, तो नया दौर का ये देश है वीर जवानों का... अब भी हर मौके पर सुना जाता है।

 

अब कोई गुलशन ना उजड़े अब वतन आजाद है(मुझे जीने दो), जिस मुल्क के सरहद की निगहबान हैं आंखें(आंखें), नौजवानों भारत की तकदीर बना दो(कुंदन), कर चले हम फिदा जानो तन साथियों(हकीकत), ऐ मेरे वतन के लोगों, जरा याद करो कुरबानी(हकीकत), चल-चल रे नौजवान, रूकना तेरा काम नहीं, चलना तेरी शान(बंधन), सुनो-सुनो ऐ दुनिया वालों(बापू की अमर कहानी,1949),जहां डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा, वो भारत देश है मेरा(सिकंदर-ए-आजम), हम लाए हैं तूफ़ान से कश्ती निकाल के,आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं, दे दी हमें आजादी(जागृति),ऐ मेरे प्यारे वतन, इंसाफ की डगर पे(गंगा-जमुना), नन्हा-मुन्ना राही हूं(सन आफ इंडिया), हम हिन्दुस्तानी, मेरे देश की धरती(उपकार), जब जीरो दिया मेरे भारत ने,है प्रीत जहां की रीत सदा(पूरब-पश्चिम), अपनी आज़ादी को हम(लीडर), मेरे देशप्रेमियों(देशप्रेमी), और अब के बरस(क्रांति) ये कुछ ऐसे गीत हैं, जो सदा के लिए अमर हो गए।

आज़ादी की लड़ाई के साथ कई फिल्में गोवा विद्रोह,1857 की क्रांति, भ्रष्टाचार के खिलाफ भी कई फिल्में बनी।

क्रांति, क्लर्क, पूरब-पश्चिम जैसी फिल्मों से मनोज कुमार उर्फ भारत कुमार ने खुब नाम और दाम कमाया। कर्मा और तिरंगा जैसी फिल्मों में काफी फिल्मी देश भक्ति के भाव थे।

हर करम अपना करेंगे, ऐ वतन तेरे लिए(कर्मा), देखो वीर जवानों अपने खून पे ये इल्ज़ाम न आए(आक्रमण), ये माटी सभी की कहानी कहेगी(नवरंग) भी काफी चर्चित गीत रहे।

राष्ट्रप्रेम पर बनी सरफरोश, रंग दे बसंती, द लीजेंड आफ भगत सिंह, गांधी(1982),समाधि, पहला आदमी, आज़ादी की राह पर, आंदोलन, हिंन्दुस्तान हमारा, जीवन संग्राम,23मार्च1931,बोस द फॉरगॉटेन हीरो, शहीद नेताजी सुभाषचंद्र बोस, सम्राट पृथ्वीराज चौहान, बॉर्डर, लगान, फिर भी दिल है हिंदुस्तानी, एलओसी कारगिल, मंगल पांडे और वीर-जारा भी कहीं जा सकती है।

जागृति,1965 में आई शहीद, शहीद भगत सिंह(1963),ललकार(1972) सरीखी फिल्में इस धारा और भाव का प्रामाणिक दस्तावेज़ कहीं जा सकती है।

 

लेकिन अब देशप्रेम महज एक बिकाऊ फॉर्मूला बन कर रह गया है। हर फिल्म में चीख-चीखकर पाकिस्तान को गांलियां देने के सिवा कुछ नहीं होता। राष्ट्र के संपूर्ण भाव और देश के लिए प्रेम के विचार को चित्रित करती फिल्में अब बनती नहीं, अगर कोई निर्माता बनाना भी चाहे तो उसे फाइनेंसर और वितरक नहीं मिलते।

Saturday, 19 December 2015

अगर तुम







गूंथ दो मेरे बालों को

कविताओं में

मेरे अंगों को कविताओं

में परिवर्तित कर दो

कविताओं के आभुषण पहनाओं मुझे

कविताओं के स्नान पश्चात

मुझे कविता का पर्याय समझ सकें,

अगर

यकीन मानों

बेझिझक,निस्संकोच

बिना मान-मनवार

मैं चल दूगी, तुम्हारे साथ।


मनीषा शर्मा~

Tuesday, 15 December 2015

बांहे



रजनीगन्धा से महके

निशा के

पिघलते जिस्म को

संभालने को

आदित्य की आतुर बांहें


मनीषा शर्मा~


निशा-रात
आदित्य-सूरज

Sunday, 13 December 2015

सुंदर और असाधारण राधा



राधा जब कृष्ण से मिली थी तब तक उनका विवाह हो चुका था। कृष्ण के साथ उनका संबंध ऐसा था कि उसके साथ रहने की कल्पना भी नहीं की जा सकती। यदि उन्हें सबका सहयोग भी मिल जाता तब भी उनका विवाह संभव नहीं था। यह बात राधा जानती थी तब भी अपने जीवन की अंतिम सांस तक वह कृष्ण को चाहती रही तो स्पष्ट है कि यह सब वह बिना किसी भ्रम के करती रही। कृष्ण के साथ अपने संबंधों का आधार उसने सांसारिक रूप से एक-दूसरे के साथ रहने के बजाय कुछ और बनाया, जो इससे कहीं अधिक श्रेष्ठ था।

 

यदि व्यक्ति में कामना की निष्फलता को स्वीकार करने का साहस है तो यह संभव ही नहीं कि किसी भी स्थिति में वियोग से पराजय स्वीकार करेगा।

 

सब कृष्ण को एक मात्र सत्य मानते है और राधा उनके लिए या तो कृष्ण का एक अंश है या फिर एक ऐसा साधन, जिससे वे कृष्ण की श्रेष्ठता को प्रदर्शित करते हैं। सबके लिए राधा एक उर्जा है-एक विशिष्ट उर्जा जो केवल कृष्ण की ही है। इसी दृष्टिकोण की वजह से राधा को कभी कृष्ण से भिन्न होने ही नहीं दिया गया। वियोग के वे क्षण राधा को दिए ही नहीं, जिनमें अपने होने की वेदना को झेला हो। यह सत्य है कि बाद में उसने कृष्ण के साथ एकरूपता प्राप्त कर ली थी पर उसने अपना पूरा जीवन या कम से कम जीवन का एक बहुत बड़ा भाग निरंतर आघातों को झेलने में बिता दिया होगा। ये क्षण कैसे असामान्य साहस के क्षण रहे होंगे।

 

कहा जा सकता है कि राधा वास्तव में साहसी थी तो जब उसे पता लगा कि उसका इष्ट उसे प्राप्त नहीं हो सकता तथा कृष्ण से उसका मिलन कभी नहीं हो सकता, तो उसमें अपने जीवन को समाप्त पर देने का साहस भी होना चाहिए था। 

तो राधा ने आत्महत्या क्यों नहीं की? वह प्रारंभ से जानती थी कि कृष्ण के साथ रहना असंभव है। हालांकि यह बात उसके लिए दुख का कारण रही होगी पर उसने स्वयं को यह बात स्वीकार करने के लिए तैयार कर लिया होगा और इसे सहना सीख लिया होगा।

 

इसमें मतभेद हो सकते है कि आत्महत्या करना अति साहस का काम है या अति कायरता का। पर कुछ परिस्थितियों में स्वेच्छा से मृत्यु का वरण करने की अपेक्षा जीवित रहना निस्संदेह अधिक साहस का काम है।

राधा निराशा के लिए पहले से ही तैयार होगी और धीरे-धीरे इसे जीवन का एक सामान्य अंग मान लिया होगा और उसे जीवन के प्रति किसी प्रकार की आशंका का अनुभव ही नहीं रहा होगा। उसने अपना पूरा जीवन जिया और जीवन भर निराशा को वहन किया और इस प्रकार निराशा को जीवन पर हावी नहीं होने दिया कि आत्महत्या का विचार भी आता।

 

क्या आप किसी चिड़चिड़ी राधा की कल्पना कर सकते है? जो कृष्ण को वृंदावन छोड़ने के लिए, उस पर निष्ठा न रखने के लिए तथा उसके प्रति उदासीन रहने के लिए चिड़चिड़ाती हो और उसके प्रति प्रेम को मान्यता दिलवाने या उसके साथ रहने के उपाय ढूंढने के लिए कहती हो।

ऐसा कोई भी आचरण उसके लिए अप्रासंगिक है। प्रारंभ से ही वह ऐसी कोई आशा नहीं पाले रखती अत: कुंठित होकर निराश होने की भी उसके लिए कोई संभावना नहीं है।

मैं उस राधा की कल्पना करना चाहूंगी जो वृंदावन में अकेली रही, बिना कृष्ण के, बिना कृष्ण से मिलन की आशा के।

 

क्या वह दुखी थी? संभवतः नहीं, क्योंकि प्रसन्नता की आशा तो उसने पहले ही छोड़ दी थी। जो लोग प्रसन्नता का जीवन जीते हैं उनके लिए उनका उद्देश्य दुख का कारण बन सकता है, क्योंकि यदि वह उद्देश्य पूरा न हो तो वह दुखी हो जाते हैं पर जिन लोगों का ऐसा कोई लक्ष्य ही न हो और उसे प्राप्त करने की प्रसन्नता भी न हो तो उनका दुख उस बच्चे के दुख की तरह नहीं होता जो चट रोने लगता है।


राधा की जिन बातों से उसकी दुर्बलता तथा कोमलता प्रकट होती प्रतीत होती है, वे वास्तव में उसकी चारित्रिक दृढ़ता तथा धैर्य की उपज हैं

 

पुराणों में राधा देवी बन जाती है। तब से लेकर आज तक कभी भी किसी ने राधा को चरित्रहीन नहीं माना। कृष्ण और राधा के संबंध को तुच्छ दृष्टि से नहीं देखा। यह उचित भी है क्योंकि वे जीवन को सामान्य मोहों के बिना जी गई, समय के पार, रिक्ति में जी गई। देवी हुए बिना ये कैसे संभव है कि कोई नदी में जाकर नहाए, पानी लाए, दूध बेचें और हजारों दूसरे काम करे और ऐसा जताए जैसे इसका उसके लिए कोई अर्थ है, पर उसके भीतर एक मौन आवाज लगातार आती रहे कि ऐसा कुछ नहीं है जिसकी आस हो। और जब हम किसी देवी-देवता की बात करते है तो यह कैसे कह सकते है कि वह प्रसन्न है अथवा दुखी? वह एक साथ दोनों भी हो सकते है और नहीं भी।

 

वह कुछ ऐसा भी हो सकता है जो हमारी समझने की शक्ति से बाहर हो और उसका वर्णन भी हम न कर सकें।

Thursday, 10 December 2015

#Haiku नमाज़



खामोश बातें

नि:शब्द पुकार सी

नमाज़ में थी


मनीषा शर्मा~

Tuesday, 8 December 2015

#Haiku उम्र

जीवन रहा

प्यार का दरख्त सा

उम्र पथिक


मनीषा शर्मा~

Monday, 7 December 2015

Looking at the world through the heart







What is beauty? Fair color, perfect figure and sharp facial features? No... these are merely the upper shell. Then? Bauty is the name of creativity; creation is the true beauty. Beauty means love, something that could bring hope in the lifeless eyes. Beauty is the will do something for that someone. The courage to embrace the world, the heart, and the struggle to feel and to look at the world positively, that is true beauty.

 

The one who loves, is called lovable,

 

Kahlil Gibran says, "Every heart that loves, is beautiful"; his words ring with 101% truth. A heart full of love is bind to happiness. If the heart is happy then the whole world seems to be filled with happiness.

 

Beauty is skin deep,

 

Who does not think that Madhubala and Gayatri Devi are beautiful? However, in my eyes those who are more beautiful than these two are the women breaking stones, covered in sweat. Who struggle through their whole life for their families, but never takes defeat as an option.

 

The face of Mother Teresa, jeweled in wrinkles, is more beautiful than any Miss World or Miss Universe. She was someone who dedicated her whole life to help others. The emaciated Mahatma Gandhi looks incredible, someone who had once started Satyagrah. The petite Anna Hazare looks handsome, someone who was on a fast for five whole days because he could not stand corruption. Now think for a second, do the Greek Gods stands anywhere near these stunning personalities.

 

Beauty is in creation,

 

The famous creation of Leonardo Da Vinci “Mona Lisa”, whose beautiful smile had made the world go head over heels for her. One feels a smile playing across their face when they see the smile of Mona Lisa. This is the beauty.

 

Mirza Ghalib, who was with a white beard, does he not look beautiful to you? He whose astounding Shayari touches the very core of one’s heart. The one with short height and lanky figure, Charlie Chaplin, who had a terrible childhood and yet he made the world laugh in his later life.

 

This is beauty, beauty of heart.

 

When the Molvi told Majnu to write the name of Khuda on his sheet, he wrote 'Laila'. Upon the scolding of Molvi, "Khuda is not 'Laila' but 'Laela' , which means 'Allah' ". Majnu had said, "My lover Laila is my Khuda".

 

"Everything in the Universe is beautiful." Many would agree with this statement of Confucius, but it is not necessary that you would be one of them. Every being has their own beliefs, every being has their own view on it all.

 

For some a sunrise is beautiful and for some a sunset. Some loves the noise whilst some prefer the silence. Some are non-vegetarian and some are pure vegetarian. Some spend their whole life lost in the pages of books, and some loves the book of life. 

 

External beauty is short-lived. It is here today and gone the next. No matter how beautiful someone is, when the time arrives they would be as aged as one would be.

 

However, even if the body in covered in wrinkles, if the heart is beautiful then with age a person's beauty grows. If your heart peaceful then you would look beautiful forever. The gift of inner beauty is that it will be seen in the whole personality. All the same, if the heart is devious then the blackness will be seen on the face.

 

True love is the one of heart to heart. And to reach to someone's heart is not so easy. It is a struggle. Age of the outer shell (beauty) is too short. Those who truly loves someone knows that. Shayar Hastimal Hasti have said an incredible thing, "Jism ki baat nahi thi, unkai dil tak jaana tha... lambi duri tai karnai mai waqt to lagta hai.." ...

Saturday, 5 December 2015

#Haiku तारा





आकाश का वो

रात का तारा हूं ,मैं

जलता है जो


मनीषा शर्मा~

Wednesday, 2 December 2015

#Haiku दुआ






करूँ मैं दुआ

तुझ से,न खुदा से

बढ़े फ़ासला

मनीषा शर्मा~