ज़िन्दगी एक किताब
एक किताब
कुछ अधजले पन्नों की
कुछ गायब पन्नों की
कुछ रंगहीन तस्वीरों की
एक किताब
नई जिल्द की चाह में
फिर से लिखे जाने की चाह में
नए नज़रिए से पढ़े जाने की चाह में
नयी बुक सेल्फ की चाह में
एक नये शब्दकोश की चाह में
एक किताब
जिसमें कुछ आदर्श
जिसमें कुछ जज्बात
बहुत से रहस्य
बहुत सा रोमांच
एक किताब
आज मैंने पढ़ी
एक जिदंगी
आज मैंने पढ़ी।।
मनीषा शर्मा~
that's beautiful....the picture contrasts the play on 'newness' in your poem.
ReplyDeleteThank you Sunaina... In this poem I've tried to tell a storie of two people of different age who face it all even in today's date.
DeleteAmazingly beautiful!
ReplyDeleteThank u Amit
DeleteWaiting for a new life...it's pathetic that it is still rampant in India...Beautifully expressed anyway...
ReplyDeleteThank Amit.. :) And it is truly pathetic..
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