Search This Blog

Wednesday, 19 August 2015

खत







दूर रहकर भी वास्ता रखना

तुम खतों का ही सिलसिला रखना

राहें उल्फत में हो अंधेरा तो क्या

शमा यादों की तुम जला कर रखना

मुझसे तुम दूर हो, फिर भी

सिलसिला यू ही प्यार का रखना

इसमें लिखी है राज़ की बातें,फिर भी

खत जलाना नहीं, छुपा कर रखना।


~मनीषा शर्मा~

2 comments: