उस दिन तुम्हारे हाथ से
फूलदान गिर कर टूट गया
मैने कहा था
इसे जोड़ दें
तुमने कहा था
टूटा हुआ फूलदान ही तो है फेंक दो
आज न जाने तुम कहा हो
मुझसे मेरी हंसी रूठ गयी है
मेरा दिल टूट गया है
तुम मिलों तो पूछूं
अब क्या करू?
इसे जोड़ दें
अब भी यही कहोगे?
टूटा हुआ दिल ही तो है, फेक दो।।
~मनीषा शर्मा
A heart breaking question Manisha. :)
ReplyDeleteVery well written.
Thank u Indrani :) :)
DeletePoignant poem Manisha. Once broken things lose their value -be it a vase or a heart.
ReplyDeleteThat's true Somali... Thank so much for your comment :)
Deleteजी मनीषा, बस ये ही तो फ़र्क है गुलदान और दिल में, एक को फेंका जाता है तो दूसरे को जतन से सहेजा जाता है …फिर से टूटने के लिए!
ReplyDeleteदिल अगर फुल ना था, काँच का टुकड़ा होता।
Deleteतोड़ने वाले को इक जख्म आया होता।।
Could you use bigger reader friendly fonts?
ReplyDeleteSorry for the inconvenience Rajeev. I have made the font bigger of this poem and the poems before it too
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