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Thursday 1 October 2015

श्रीरामशलाका प्रश्रावली



श्रीरामशलाका प्रश्रावली

 

मानसानुरागी महानुभावों को श्री रामशलाका प्रश्रावली का विशेष परिचय देने की कोई आवश्यकता नहीं प्रतीत होती, उनकी महत्ता एवं उपयोगिता से प्रायः सभी मानस-प्रमी परिचित होगे। अत: नीचे उसका स्वरूप मात्र अंकित करके उससे प्रश्रोत्तर निकालने की विधि तथा उसके उत्तर-फलों का उल्लेख कर दिया जाता है।

श्रीरामशलाका प्रश्रावली का स्वरूप इस प्रकार है।

इस रामशलाका प्रश्रावली के द्वारा जिस किसी को जब कभी अपने अभीष्ट प्रश्न का उत्तर प्राप्त करने की इच्छा हो तो सर्वप्रथम उस व्यक्ति को भगवान श्रीरामचंद्र जी का ध्यान करना चाहिये। तदुपरान्त श्रद्धा-विश्वासपूर्वक मनसे अभीष्ट प्रश्न का चिन्तन करते हुए प्रश्नावली के कोष्ठक में आंखें बंद करके अँगुली या कोई शलाका रख दे और उस कोष्ठक में जो अक्षर हो उसे अलग किसी कोरे कागज पर लिख लेना चाहिये।

अब जिस कोष्ठक का अक्षर लिख लिया गया है उससे आगे बढ़ना चाहिए और उसके नवें कोष्ठक में जो अक्षर पड़े उसे भी लिख ले। इस प्रकार प्रति नवें अक्षर को लिखते रहे और तब तक लिखे जब तक उसी पहले कोष्ठक के अक्षर तक अँगुली या शलाका न पहुँच जाय।

अब जितने भी नो नम्बर के अक्षर आये है उन्हें एक साथ जोड़ने पर एक पूरी चौपाई बनेगी,जो प्रश्नकर्ता के अभीष्ट प्रश्न का उत्तर होगी।

यहाँ इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि किसी-किसी कोष्ठक में केवल 'आ' की मात्रा और किसी-किसी कोष्ठक दो-दो अक्षर हैं। अत: गिनते समय न तो मात्रा वाले कोष्ठक को छोड़ देना चाहिए और न दो अक्षर वाले कोष्ठक को दो बार गिनना चाहिये।

जहाँ मात्रा का कोष्ठक आवे वहाँ पूर्व लिखित अक्षर के आगे मात्रा लिख लेना चाहिये और जहाँ दो अक्षरों वाला कोष्ठक आवे वहाँ दोनों अक्षर एक साथ लिख लेना चाहिये।

 

 

अब उदाहरण के तौर पर इस रामशलाका प्रश्नावली से किसी प्रश्न के उत्तर में एक चौपाई निकाल दी जाती है।

पाठक ध्यान से देखें। किसी ने भगवान श्रीरामचंद्र जी का ध्यान और अपने प्रश्न का चिन्तन करते हुए यदि प्रश्नावली के *इस चिन्ह से संयुक्त 'म' वाले कोष्ठक में अँगुली या शलाका रख्खा और वह ऊपर बताये क्रम के अनुसार अक्षरों को गिन-गिनकर लिखता गया तो उत्तरस्वरूप यह चौपाई बन जायगी-


हो इ है सो ई जो रा म* र चि रा खा।

को क रि त र क ब ढ़ा व हिं सा खा

यह चौपाई बालकाण्डान्तर्गत शिव और पार्वती के संवाद में है।

प्रश्नकर्ता को इस उत्तरस्वरूप चौपाई से यह आशय निकालना चाहिए कि-कार्य होने में सन्देह है, अत: उसे भगवान पर छोड़ देना श्रयस्कर है।

श्रीरामशलाका प्रश्नावली से जितनी भी चौपाइयाँ बनती हैं, उन सबका स्थान और फलसहित उल्लेख नीचे किया है।


१-सुनु सिय सत्य असीस हमारी। पूजहि मन कामना तुम्हारी।।

स्थान-यह चौपाई बालकाण्ड में श्रीसीता जी के गौरी पूजन के प्रसंग में है। गौरी जी ने श्री सीता जी को आशीर्वाद दिया है।

फल-प्रश्नकर्ता का प्रश्न उत्तम है, कार्य सिद्ध होगा।


२-प्रबिसि नगर कीजे सब काजा। ह्रदय राखि कोसलपुर राजा।।

स्थान-यह चौपाई सुन्दरकाण्ड में हनुमानजी के लंका में प्रवेश करने के समय की है।

फल-भगवान का स्मरण करके कार्यरम्भ करो, सफलता मिलेगी।


३-उधरे अंत न होइ निबाहू। कालनेमि जिमि रावन राहू।।

स्थान-यह चौपाई बालकाण्ड के आरम्भ में सत्संगवर्णन के प्रसंग में है।

फल-इस कार्य में भलाई नहीं है। कार्य की सफलता में सन्देह है।


४-विधि बस सुजन कुसंगत परहीं। फनि मनि सम निज गुन अनुसर हीं।।

स्थान-यह चौपाई भी बालकाण्ड के आरम्भ में ही सत्संगवर्णन के प्रसंग की है।

फल-खोटे मनुष्यों का संग छोड़ दो।कार्य पूर्ण होने में सन्देह है।


५-मुद मंगलमय संत समाजू। जिमि जंग जंगम तीरथ राजू।।

स्थान-यह चौपाई बालकाण्ड में संत-समाजरूपी तीर्थ के वर्णन में है।

फल-प्रश्न उत्तम है। कार्य सिद्ध होगा।


६-गरल सुधा रिपु करय मिताई। गोपद सिंधु अनल सितलाई।।

स्थान-यह चौपाई श्रीहनुमानजी के लंका में प्रवेश करने के समय की है।

फल-प्रश्न बहुत श्रेष्ठ है। कार्य सफल होगा।


७-बरून कुबेर सुरेस समीरा। रन सनमुख धरि काह न धीरा।।

स्थान-यह चौपाई लंकाकाण्ड में रावण की मृत्यु के पश्चात मन्दोदरी के विलाप के प्रसंग में है।

फल-कार्य पूर्ण होने में सन्देह है।


८-सुफल मनोरथ होहुँ तुम्हारे। राम लखनु सुनि भए सुखारे।।

स्थान-यह चौपाई बालकाण्ड में पुष्पवाटिका से पुष्प लाने पर विश्वामित्र जी आशीर्वाद है।

फल-प्रश्न बहुत उत्तम है कार्य सिद्ध होगा।

इस प्रकार रामशलाका का प्रश्नावली से कुल नौ चौपाइयाँ बनती है, जिनमें सभी प्रकार के प्रश्नों के उत्तरशय सन्निहित हैं।

6 comments:

  1. Oh Manisha.....my childhood, my adolescent years just came in front of my eyes.....I used to ask so many questions from this....and I would repeat until I got the answer I wanted.....:)

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    1. Sunaina, old is gold.. pure gold :) This is also known as World's first computer, just imagine..

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  2. Very thoughtful of you Manisha.I have starred this page.I too used to take help from this in my younger days.

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    1. This was a part of our elders everyday life,they used it for almost every other big decision. I don't think the new generation knows what a priceless thing they are missing. Thank you for your comment Indu :)

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  3. Amazingly interesting...never came across this!
    Will study it again and again till I reach the core...Thank you Manisha:)

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    1. If you have seen this for the first time then I'm quite surprised. It might look a little typical but when its understood, it gives accurate answers.

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